Chandrayaan 3 launch today: सफल पका होगा इस बार का यह मिशन विक्रम लेंडर में किए गय ये बड़े बदलाव जानिए?

Chandrayaan 3 launch today: जल्द ही इतिहास रचने वाला है. अबकी बार भारत चांद को अपनी मुट्ठी में कर ही लेगा चंद्रयान 3  की सफलता से नया इतिहास रचेगा भारत इसी महीने की 14 तारीख को चंद्रयान 3 की चांद की यात्रा शुरू हो जाएगी और इस बार का यह मिशन पूरी दुनिया को दिखा देगा कि भारत  स्पेस टेक्नोलॉजी में में सबसे आगे है।

दोस्तो आपको चंद्रयान 2 तो याद ही होगा  2019 का वो शनिवार जब pm नरेंद्र मोदी सुबह बेंगलुरु isro के हेड ऑफिस चंद्रायन 2 के विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला था तभी विक्रम लैंडर से isro का संपर्क टूट गया था और आखिर में चंद्रयान 2 का 46 दिनों का सफर असफल हो गया था ।

Chandrayaan 3 launch today

अब isro ने अपनी कमर कस ली है Isro अब चांद पर उतरने के सपनो का साकार करने का वक्त आगया है।

Chandrayaan 3 launch today:14 जुलाई 2023 को इसरो 2:35 पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा मैं स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर स्पेसशिप chandrayaan-3 लांच करेगा chandrayaan-3 23 या 24 अक्टूबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा ।

चंद्रयान 3 चांद पर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है इसे कुछ दिन पहले ही लॉन्चिंग व्हीकल LVM3 फिट किया जा चुका है. Chandrayaan-3 का कुल बजट 651 करोड़ के आसपास है chandrayaan-3 का लैंडर अगर चांद पर उतरने में कामयाब होता है भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा ।

Chandrayaan 3 चांद पर जाके क्या जानकारी कलेक्ट करेगा ?

chandrayaan-3 पता करेगा कि वहां का तापमान कितना है चांद की सतह पर भूकंप कैसे आता है और कितने आते हैं वहां पर प्लाज्मा एनवायरनमेंट कैसा है आपके मिट्टी में कौन-कौन से तत्व है ।

chandrayaan-3 को चांद पर पहुंचाने के लिए तीन हिस्से या मॉड्यूल तैयार की है चंद्रयान 3 में मॉड्यूल के तीन हिस्से है  लैंडर मॉड्यूल ,प्रोपल्शन मॉड्यूल ,इंटीग्रेटेड मॉड्यूल।

Chandrayaan 3 में तीनो मॉड्यूल कैसे काम करेंगे

प्रोपल्शन मॉड्यूल


यह स्पेसशिप को उड़ाने वाला हिस्सा होता है ये एक बॉक्स के जैसा स्ट्रक्चर होता है जिसके एक तरफ ऊर्जा सोलर पैनल से लगे हुए हैं और वेटर की तरह ही चांद के चक्कर लगाएगा. लैंडर और इसरो के बीच कम्युनिकेशन रिले का काम करेगा ऊपर एक बड़ा सा सिलैंडरिकल स्ट्रक्चर है जिससे इंटर मॉड्यूल एडाप्टर कोन कहा जाता है कैलेंडर को माउंट करेगी ।

लैंडर मॉड्यूल


लैंडर मॉड्यूल स्पेसशिप को चांद पर लैंड कराने वाला हिस्सा है इसमें चार पैर होगे और लैंडिंग थ्रेस्टर जो इसे ठीक से लैंड करवाने में मदद करेगा लेंडर का वजन 7552 किलो  है . रोवर यह भी महत्व का हिस्सा है जो चांद की सतह पर जानकारी कलेक्ट करेगा इसका वजन 26 किलो रखा गया . रोवर की साइड में सोलर पैनल लगे हुए होंगे उसे  काम करने में ऊर्जा प्रदान करेंगे ।

Chandrayaan-2 में इन तीनों के अलावा एक और हिस्सा था जिससे और ऑर्बिटर कहा  जाता है इसे इस बार नहीं भेजा जा  रहा है क्योंकि chandrayaan-2 का ऑर्बिटर अभी भी चांद का चक्कर काट रहा है अभी इसरो का इस्तेमाल chandrayaan-3 में करेगा ।

Chandrayaan 3 की लेंडिंग के लिए लेंडर विक्रम में कोन से बदलाव किए गय हे ?

Chandrayaan-3 सफलतापूर्वक लैंडिंग के लिए लेंडर में कई सारे सेंसर का उपयोग किया गया है यह सेंसर उसे सतह पर किसी भी चीज से टकराई बिना लैंड करने में मदद करेगा. अगर यहां एक भी सेंसर बंद हो जाता है तो उसकी जगह दूसरा सेंसर ले लेगा इसकी ऊंचाई को कंट्रोल करने के लिए रिएक्शन व्हीकल्स का इस्तेमाल किया गया है इसमें कम्युनिकेशन के लिए xबैंड एंटीना का उपयोग किया गया है।

Chandrayaan-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा यहां लैंड करना बहुत खतरनाक होता है यहां लैंडिंग करना बहुत मुश्किल है chandrayaan-2 भी यही जाने में असफल रहा था चांद के दक्षिणी ध्रुव पर समतल सतह ढूंढना काफी मुश्किल है।

Chandrayaan 3 में रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर कैसी जानकारी कलेक्ट करेगा ?

चांद का दक्षिणी ध्रुव वाला हिस्सा पृथ्वी के संपर्क में बहुत कम आता है और यह वह जगह है जहां पर चंद्रयान-1 ने पानी की खोज की थी बाद में नासा की सेटेलाइट नहीं है बात की पुष्टि की थी कि यहां पर पानी है यहां पर कहीं ऐसी जगह है जहां पर सूरज की रोशनी नहीं पड़ती इस वजह से यह सूरज की रेडिएशन से बचे रहते हैं और यही कारण है यहां जीवन की अनशक्ति मिल सकती है।

Chandrayaan-3 लेंडर का नाम विक्रम ही होगा इसके रोवर का नाम प्रज्ञान होगा.

रोवर में कई सारे नेविगेशन कैमरास मौजूद होगे रोवर में एनर्जी के लिए सोलर पैनल और कम्युनिकेशन के लिए एंटीना लेंडर में एक और इंस्ट्रूमेंट शामिल है जिसका नाम है चंद्र सरफेस थर्मल फिजिकल एक्सपेरिमेंट
यह चांद की सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज की जांच करेगा इसके अलावा इसमें तो इंस्ट्रूमेंट ऑफ लूनरसीस्मिक एक्टिविटी यह  इंस्ट्रूमेंट चांद की सतह पर होने वाले भूकंप के मामलों की जांच करेगा रेडियो एनाटोमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आइनॉस्फर और  एटमॉस्फियर (रंभा) एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है जो चांद के बर्तन में गैस और प्लाज्मा की जांच करेगा पैसिव लेजर रेट्रोरिफ्लेक अरे  इंस्ट्रूमेंट इसरो को नासा की तरफ से मिला है
यह चांद और सूरज के बीच की सही दूरी नापने के लिए बना है इसके अलावा लेंडिंग साइट की सतह को जानने के लिए  अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्को (LIBS) लगाए गए हे इस बार इस मिशन में एक और ऐसे इंस्ट्रूमेंट का उपयोग किया गया है जो चांद की सतह पर रहकर भी पृथ्वी पर नजर रखेगा स्पेक्ट्रो पॉलरीमेट ऑफ हैबिटेबल  प्लेनेट अर्थ (SHAPE) नाम दिया गया हे।

लैंडर चांद के 1 लूनर दिन तक रहेगा
1 लूनर दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है।

Chandrayaan 3  के लेंडर को जरूरी हो की वहा पर सूरज की रोशनी निकली हो चांद पर 14 15 दिन तक सूरज निकलता हे और 14 15 दिन तक अंधेरा होता है।

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